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अल-अंसार

अल अंसार या अल अंसारी ( अरबी : ال انصار یا ال انصاری)  "सहायकों" विशेष रूप से मदीने के वह मुस्लमान है जिन्होंने हिज्रत के बाद रसूल अल्लाह ﷺ और मक्के से आने वाले मुस्लमान मुहाजिरीन की मदद की। अंसार-ओ-मुहाजिरीन का ज़िक्र क़ुरआन में आया है और लोगों को उनके इत्तिबा की तलक़ीन की गई है। अंसार जमा है नासिर-ओ-नसीर की। मददगार। क़ुरआन-ए-मजीद में जहां मुहाजिरीन-ओ-अंसार का ज़िक्र आया है वहां अंसार से मुराद अंसार ए मदीना हैं जो नबी करीम ﷺ की नुसरत के बदौलत इस लक़ब से सरफ़राज़ किए गए।[1]

लड़ाइयाँ जिनमे अंसार या अंसारियों ने मुहम्मद साहब की मदद की

अंसारियो ने कई लड़ाइयों में रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मदद की। मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम द्वारा आदेशित अल-अबवा पर छापे के एक महीने बाद, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मुहाजिरों और अंसार या अंसारियों सहित दो सौ लोगों को चपेट में ले लिया, जोकि कुरैश व्यापारियों के कारवां मार्ग पर एक जगह थी।[2] कुरैशी उमैयह इब्न खलफ के नेतृत्व में पंद्रह सौ ऊंटों का झुंड आगे बढ़ रहा था। छापे का उद्देश्य इस समृद्ध कुरेश कारवां को लूटना था। हालाकि बाद में कोई लड़ाई नहीं हुई और छापेमारी में कोई लूट भी नहीं हुई। मुहम्मद तब अल-ख़बर के रेगिस्तान में धत अल-साक़ तक गया तथा उन्होंने वहां प्रार्थना की और घटनास्थल पर एक मस्जिद का निर्माण किया।[3]

मुहम्मद की मृत्यु के बाद

मुहम्मद के बाद खलीफाओं के कार्यकाल के दौरान, खलीफा अबू बक्र के समय बुझाखा की लड़ाई में खालिद इब्न अल-वालिद के समर्थन में अंसारियों का नेतृत्व करने के लिए अंसार मुख्य रूप से कई विजय में महत्वपूर्ण सैन्य तत्त्व बन गए। बाद में उन्होंने यममा या यम के युद्ध में भी एक प्रमुख भूमिका निभाई, जहां अल बारा बिन मलिक अल अंसारी के नेतृत्व में अंसार ने युद्ध के एक खतरनाक क्षण में अपने मोड़ को चिह्नित किया।[4]

संदर्भ

  1. "Narrators of Hadith al Thaqalayn From Among the Sahabah". Al-Islam.org (अंग्रेज़ी में). 2013-11-04. अभिगमन तिथि 2021-01-17.
  2. "The life of Rufaydah Al-Aslamiyyah - Islamweb - Fatwas". www.islamweb.net. अभिगमन तिथि 2021-01-17.
  3. Mubārakfūrī, Ṣafī al-Raḥmān (2002). The Sealed Nectar: Biography of the Noble Prophet (अंग्रेज़ी में). Darussalam. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9960-899-55-8.
  4. Tabari; ?abar? (1993-06-29). The History of al-Tabari Vol. 10: The Conquest of Arabia: The Riddah Wars A.D. 632-633/A.H. 11 (अंग्रेज़ी में). SUNY Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7914-1072-1.