अलौकिक शक्ति
अलौकिक शक्तियों का वर्णन मुख्य रूप से भारतीय धर्मग्रंथों में विभिन्न वेदों, पुराणों और उपनिषदों में मिलता है। इनका उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और उच्च आध्यात्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति है। अलौकिक शक्तियाँ (सिद्धियाँ) भारतीय धार्मिक और योग साहित्य में विभिन्न प्रकार की मानी जाती हैं। इन अलौकिक शक्तियों का विस्तृत वर्णन योगसूत्र, रामायण, विष्णुपुराण भगवद गीता, शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
पतंजलि ने योगसूत्रों में स्पष्ट रूप से अणिमा, महिमा, गरिमा आदि का उल्लेख किसी एक ही सूत्र में नहीं किया है, लेकिन विभूतिपाद में विभिन्न सिद्धियों और शक्तियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है। [1] इन अलौकिक शक्तियों के आठ नाम बताये गये हैं। 1. अणिमा (Anima) : सूक्ष्म से सूक्ष्मतम रूप धारण करने की शक्ति। [2] 2. महिमा (Mahima) : विशाल से विशालतम रूप धारण करने की शक्ति। 3. गरिमा (Garima) : अत्यधिक भारी हो जाने की शक्ति। 4. लघिमा (Laghima) : अत्यधिक हल्का हो जाने की शक्ति। 5. प्राप्ति (Prapti) : मनचाही वस्तु या स्थान पर पहुंचने की शक्ति। 6. प्राकाम्य (Prakamya) : किसी भी इच्छा को पूरा करने की शक्ति। 7. वशित्व (Vashitva) : दूसरों को वश में करने की शक्ति। 8. ईशित्व (Ishitva) : सभी पर नियंत्रण और प्रभुत्व की शक्ति। [3]
अलौकिक शक्तियों को पाने के लिए पतंजलि ने योगसूत्रों में बताया है कि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश ये पांच महाभूत होते हैं । पञ्च महाभूतों की स्थूल, स्वरूप, सूक्ष्म, अन्वय और अर्थवत्त्व रूप से पांच विभाग हैं । इन सभी विभागों में एक साथ या क्रम से संयम करने पर योगी सभी पञ्च महाभूतों पर विजय प्राप्त कर लेता है । स्थूलस्वरूपसूक्ष्मान्वयार्थवत्त्वसंयमाद्भूतजयः ॥३.४४॥[4]
इन्द्रियों की ग्रहण, स्वरूप, अस्मिता, अन्वय व अर्थवत्त्व इन पांच विभागों में संयम करने से योगी सभी इन्द्रियों पर पूर्ण विजय प्राप्त कर अलौकिक शक्तियों को प्राप्त कर लेता है । ग्रहणस्वरूपास्मितान्वयार्थवत्त्वसंयमादिन्द्रियजयः ॥३.४७॥
इन अलौकिक शक्तियों का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं शताब्दी में लिखे प्रसिद्ध हिंदू भक्ति स्तोत्र हनुमान चालीसा में भी हुआ है। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥ [5]
हिन्दू भगवान श्रीकृष्ण में अनेक अलौकिक शक्तियाँ थीं, जो उन्हें सर्वशक्तिमान और दिव्य बनाती हैं। हिन्दू धर्मग्रंथ भागवत पुराण, महाभारत और हरिवंश पुराण में उनकी इन अलौकिक शक्तियों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
अलौकिक शक्तियों का उल्लेख संसार के पुरातन धार्मिक पुस्तक हिन्दू वेदों में भी मिलता है: 1. ऋग्वेद में विभिन्न देवताओं की महिमा और उनके अलौकिक कार्यों का वर्णन मिलता है, जैसे इन्द्र के वज्र से वृतासुर का वध, अग्नि की अग्नि शक्तियाँ आदि। 2. यजुर्वेद में यज्ञों और अनुष्ठानों के माध्यम से प्राप्त होने वाली शक्तियों का वर्णन है। 3. अथर्ववेद में जादू-टोने, मंत्र, और औषधियों के माध्यम से प्राप्त होने वाली अलौकिक शक्तियों का वर्णन किया गया है।
इन सभी ग्रंथों में अलौकिक शक्तियों का वर्णन न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक संदर्भ में किया गया है, बल्कि वे नैतिक और सामाजिक शिक्षा का माध्यम भी हैं।
हॉलीवुड में अलौकिक शक्तियों पर कई प्रसिद्ध फिल्में बनी हैं, जो विभिन्न प्रकार की अलौकिक और असाधारण शक्तियों को दर्शाती हैं।
सन्दर्भ
- ↑ https://www.igntu.ac.in/eContent/IGNTU-eContent-923133787359-B.Sc-Yoga-2-SandeepThakre-PatanjaliYogDarshan-1&2.pdf
- ↑ https://patanjaliyogasutra.in/vibhooti-pada-3-45/
- ↑ https://patanjaliyogasutra.in/vibhooti-pada-3-47/
- ↑ https://patanjaliyogasutra.in/vibhooti-pada-3-44/
- ↑ https://bharatdarpanlive.com/asth-sidhi-nau-nidhi-ke-data-asbar-dinh-janki-mata/