अलेक्सान्द्र विक्तोरोविच इल्यिचेव्स्की
कवि, कथाकार और निबंधकार अलेक्सांदर इलीचेव्स्की का जन्म १९७० में अज़रबैजान के सुमगाइत शहर में हुआ। १९८७ में उन्होंने मास्को राजकीय विश्वविद्यालय के अंतर्गत कार्यरत अ. कल्मागोरफ भौतिक-गणित विद्यालय की शिक्षा समाप्त करके मास्को के भौतिकी-तकनीकी संस्थान के सामान्य व अनुप्रयुक्त भौतिकी संकाय में प्रवेश ले लिया। सैद्धांतिक भौतिकी में विशेषज्ञता के साथ अलेक्सांदर इलाचेव्स्की ने १९९३ में एम.एससी. किया। इसके बाद १९९१ से १९९९ तक वे इज़रायल और कैलिफोर्निया में वैज्ञानिक रहे।
अनेक साहित्यिक पत्रिकाओं और इंटरनेट पत्रिकाओं में अलेक्सांदर इलीचेव्सकी की रचनाएँ लगातार प्रकाशित होती रही हैं। उनके अब तक प्रकाशित कविता-संग्रहों में 'घटना' (१९९६), 'अदृष्टि' (१९९९), 'वोल्गा, तांबा और शीशा' (२००४) प्रमुख हैं। कथाकृतियों में 'आय-पेत्री'(२००५), 'क्लेन की बोतल' (२००५), 'मातिस' (२००६), 'गुशमुल्ला' (निबंध, २००८) और 'चुना पत्थर का गायन' (२००८) उल्लेखनीय कृतियाँ हैं। अलेक्सांदर इलीचेव्स्की ने ही लोकप्रिय वैज्ञानिक इंटरनेट-पोर्टल - 'जू तक्नोलौजी' की भी परिकल्पना की है।
अलेक्सांदर इलीचेव्स्की को अब तक अनेक पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें पत्रिका 'नोवी मीर' का पुरस्कार (२००५), श्रेष्ठ कहानी के लिए यूरी कज़ाकोफ पुरस्कार (२००५), उपन्यास 'मातिस' के लिए रूसी बुकर पुरस्कार आदि प्रमुख हैं। इलाचेव्स्की का नाम सन २००६ में बूनिन पुरस्कार के लिए अंतिम सूची में शामिल था और २००६ में ही उनका 'आय-पेत्री' नामक कहानी-संग्रह 'बल्शाया क्नीगा' (बड़ी किताब) नामक राष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में अंत तक शामिल रहा। अलेक्सांदर इलीचेव्स्की मास्को में रहते हैं।