अलकनन्दा नदी
अलकनंदा नदी Alaknanda River | |
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देवप्रयाग, उत्तराखण्ड में अलकनन्दा नदी | |
गढ़वाल में गंगा नदी का नदीशीर्ष। अलकनन्दा गंगा की एक बाई उपनदी है जो देवप्रयाग में उस से संगम करती है। | |
स्थान | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तराखण्ड |
मण्डल | गढ़वाल मण्डल |
ज़िले | चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | सतोपंथ हिमानी और भागीरथी खरक हिमानी का संगमस्थल |
• ऊँचाई | 3,880 मी॰ (12,730 फीट) |
2nd source | भागीरथी नदी |
नदीमुख | गंगा नदी |
• स्थान | देवप्रयाग, उत्तराखण्ड |
• ऊँचाई | 475 मी॰ (1,558 फीट) |
लम्बाई | 195 कि॰मी॰ (121 मील) |
जलसम्भर आकार | 10,882 कि॰मी2 (1.1713×1011 वर्ग फुट) |
प्रवाह | |
• औसत | 439.36 m3/s (15,516 घन फुट/सेकंड) |
जलसम्भर लक्षण | |
उपनदियाँ | |
• बाएँ | सरस्वती, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिण्डार |
• दाएँ | मंदाकिनी |
अलकनन्दा नदी (Alaknanda River) भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक हिमालयाई नदी है। यह गंगा नदी के दो नदीशीर्षों में से एक है (भागीरथी नदी दूसरी है) और इसका हिन्दू धर्म में एक पवित्र स्थान है। जलवैज्ञानिक दृष्टि से अलकनन्दा से गंगा को भागीरथी की तुलना में अधिक जल प्रदान होता है।[1]
विवरण
यह गंगा के चार नामों में से एक है। चार धामों में गंगा के कई रूप और नाम हैं। गंगोत्री में गंगा को भागीरथी के नाम से जाना जाता है, केदारनाथ में मंदाकिनी और बद्रीनाथ में अलकनन्दा। यह उत्तराखंड में संतोपंथ और भगीरथ खरक नामक हिमनदों से निकलती है। यह स्थान गंगोत्री कहलाता है। अलकनंदा नदी घाटी में लगभग 195 किमी तक बहती है। देव प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है और इसके बाद अलकनंदा नाम समाप्त होकर केवल गंगा नाम रह जाता है।[2] अलकनंदा चमोली रुद्रप्रयाग टिहरी और पौड़ी जिलों से होकर गुज़रती है।.[3] गंगा के पानी में इसका योगदान भागीरथी से अधिक है। हिंदु धर्म का प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ अलखनंदा के तट पर ही बसा हुआ है। राफ्टिंग इत्यादि साहसिक नौका खेलों के लिए यह नदी बहुत लोकप्रिय है। तिब्बत की सीमा के पास केशवप्रयाग स्थान पर यह आधुनिक सरस्वती नदी से मिलती है। केशवप्रयाग बद्रीनाथ से कुछ ऊँचाई पर स्थित है।
गहराई
अलकनन्दा नदी कहीं बहुत गहरी, तो कहीं उथली है, नदी की औसत गहराई 4 फुट (2.3 मीटर) और अधिकतम गहराई १४ फीट (४.४ मीटर) है।
सहायक नदियाँ
अलकनंदा की पाँच सहायक नदियाँ हैं जो गढ़वाल क्षेत्र में ५ अलग अलग स्थानों पर अलकनंदा से मिलकर पंच प्रयाग बनाती हैं।:[4] ये हैं:
- (केशवप्रयाग) यह स्थान सरस्वती और अलकनंदा नदी का संगम स्थान है। सरस्वती नदी देवताल झील से निकलती है।
- (बद्रीनाथ) हिंदुओं के प्रमुख चारधाम में से एक है।जो चमोली जिले में है। यहां पर ऋषिगंगा अलकनंदा से मिलती है। ऋषिगंगा का उद्गमस्थल बद्रीनाथ के समीप नीलकंठ पर्वत है।
- (गोविंदघाट) यहां पर लक्ष्मणगंगा अलकनंदा से मिलती है लक्ष्मणगंगा का उद्गमस्थल हेमकुंड के पास है।
- विष्णु प्रयाग जहाँ पर पश्चिमीधौली गंगा अलकनंदा से मिलती है।पश्चिमी धौलीगंगा का उद्गमस्थल धौलागिरी श्रेणी का कुनलूग छेत्र है।
- पश्चिमी धोलीगंगा की सहायक नदी ऋषिगंगा है।
- विष्णुप्रयाग तक अलकनंदा को विष्णुगंगा के नाम से जाना जाता है।
- विष्णुप्रयाग तक धोलीगंगा की कुल लंबाई94 km है।
- नंद प्रयाग जहाँ नंदाकिनी अलकनंदा से मिलती है। नंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल त्रिशूल पर्वत के पास स्थित नंदाघुंगती नामक स्थान है।
- कर्ण प्रयाग जहाँ पिंडर नदी अलकनंदा से मिलती है। पिंडर नदी बागेस्वर में स्थित पिंडारी ग्लेशियर से निकलती है।
- पिंडर नदी का अन्य नाम कर्णगंगा है।
- पिंडर की प्रमुख सहायक नदी आटागाड़ है।
- कर्णप्रयाग तक पिंडर नदी की कुल लंबाई 105 km है।
- रूद्र प्रयाग जहाँ मंदाकिनी अलनंदा से मिलती है। यह अलकनंदा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यह केदारनाथ के पास मंदरांचल श्रेणी से निकलती है।
मंदाकिनी की सहायक नदियां- मधुगंगा,वाशुकी/सोनगंगा
- मंदाकनी नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो अलकनंदा में दाहिनी तरफ से आकर मिलती है।
- रुद्रप्रयाग तक मंदाकिनी की कुल लंबाई 72km है।
- देव प्रयाग जहाँ भागीरथी अलकनंदा से मिलती है। देवप्रयाग टिहरी जिले में है यहां पर अलकनंदा नदी को बहु कहा जाता है।
- देवप्रयाग तक अलकनंदा नदी की कुल लंबाई 195 km है।
- जल छमता के आधार पर अलकनंदा नदी उत्तराखंड की सबसे बड़ी नदी है।
- अलकनंदा नदी का प्रवाह उत्तराखंड के तीन जिलों चमोली ,रुद्रप्रयाग तथा पौड़ी में होता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Gopal, Madan (1990). K.S. Gautam (संपा॰). India through the ages. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. पृ॰ 65.
- ↑ "चार धाम यात्रा". मूल (एचटीएम) से 20 नवंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 मार्च 2008.
- ↑ Singh Negi, Sharad (1995). Uttarakhand: Land and People, page 6. MD Publications Pvt Ltd. ISBN 81-85880-73-5.
- ↑ Kapadia, Harish (2001). Trekking and Climbing in the Indian Himalaya, page 89. Stackpole Books. ISBN 0-8117-2953-2.