अमूल
कंपनी प्रकार | सहकारी संस्था |
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उद्योग | Dairy/FMCG |
स्थापित | 1946 |
स्थापक | त्रिभुवनदास कृषिभाई पटेल |
मुख्यालय | आणंद, भारत |
प्रमुख लोग | Chairman, Gujarat Co-operative Milk Marketing Federation Ltd. (GCMMF) |
उत्पाद | See complete products listing |
आय | US$3.4 billion (2014–15) |
कर्मचारियों की संख्या | 750 employees of Marketing Arm & 3.6 million milk producer members[1] |
मूल कंपनी | GCMMF [1] |
जालस्थल | www.amul.com |
अमूल भारत का एक दुग्ध सहकारी आन्दोलन है जिसका मूल आणंद (गुजरात) में है। यह एक ब्रान्ड नाम है जो गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड नाम की सहकारी संस्था के प्रबन्धन में चलता है। गुजरात के लगभग 26 लाख दुग्ध उत्पाद दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के अंशधारी (मालिक) हैं।[2] अमूल, संस्कृत के अमूल्य का अपभ्रंश है; अमूल्य का अर्थ है- जिसका मूल्य न लगाया जा सके। अमूल, गुजरात के आणंद में स्थित है। यह किसी सहकारी आन्दोलन की दीर्घ अवधि में सफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। यह विकासशील देशों में सहकारी उपलब्धि के श्रेष्ठतम उघरणों में से एक है। अमूल ने भारत में श्वेत क्रान्ति की नींव रखी जिससे भारत संसार का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। अमूल ने ग्रामीण विकास का एक सम्यक मॉडल प्रस्तुत किया है। अमूल (आणंद सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ), की स्थापना 14 दिसम्बर, 1946 में एक डेयरी यानि दुग्ध उत्पाद के सहकारी आन्दोलन के रूप में हुई थी। जो जल्द ही घर घर में स्थापित एक ब्राण्ड बन गया जिसे गुजरात सहकारी दुग्ध वितरण संघ के द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया। अमूल के प्रमुख उत्पाद हैं: दूध, दूध के पाउडर, मक्खन (बटर), घी, चीज, दही, चॉकलेट, श्रीखण्ड, आइस क्रीम, पनीर, गुलाब जामुन, न्यूट्रामूल आदि।
संस्थापना
अहमदाबाद से लगभग 100 कि॰मी॰ की दूरी पर बसा एक छोटा शहर है आणंद। आणंद' देश के दूध की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध है। अमूल जोकि देश के सबसे प्रसिद्ध डेयरी (दुग्धशाला) का निर्माण 1946 में हुआ था। उस दौरान गुजरात में केवल एक ही डेयरी थी, पोलसन डेयरी, जिसकी स्थापना 1930 में हुई थी। पोलसन डेयरी उत्तम श्रेणी के लोगों में बहुत प्रख्यात थी। लेकिन साथ ही वह देशी किसानों के शोषण के लिये भी विख्यात हो गई। राष्ट्रीय नेता श्री सरदार पटेल ने कुछ उत्तेजित किसानों के साथ इसके खिलाफ नॉन-कॉपरेशन आन्दोलन शुरु कर दिया। इसके परिणामस्वरुप 14 दिसम्बर 1946 में अमूल इंडिया की स्थापना हुई। आरम्भ में वह बगैर किसी निश्चित वितरित नेटवर्क के, वह केवल दूध एवं उसके अन्य उत्पादों की आपूर्ति करते हैं। इसकी शुरुआत केवल दो संस्थानों और सिर्फ 247 लीटर दूध के साथ हुई थी।
को-ऑपरेटिव मॉडल का संचालन
अमूल ने कई सारे गाँवों में सामूहिक रूप से को-आपरेटिव संस्थानों का निर्माण किया। इन संस्थानों को रोज़ाना दो बार गाँववालों से दूध इकट्ठा करना पड्ता था। गाँववालों को उसकी चिकनाई पर वेतन दिया जाता था। पूरी प्रक्रिया में वृद्धि लाने के लिये एवं अनाचार को रोकने के लिये पर्याप्त कदम भी लिये गये थे। इन दूध के डिब्बों को उसी दिन करीबी द्रुतशीतन यूनिट भेज दिया जाता था। कुछ दिनों के लिये इन डिब्बों को भण्डार में रखा जाता था। फिर इन्हें नोरोगन के लिये और अन्त में कूलिंग एवं पैकेजिंग के लिये भेज दिया जाता था। इन सबके बाद उसे थोक वितरकों को दे दिया जाता था जो खुदरा विक्रेताओं और फिर अंत में उपभोक्ताओं तक पहुँचा दिये जाते थे। यह पूरी सप्लाई शृंखला डॉ वर्गीज़ एवं श्री त्रिभुवनदास द्वारा डिज़ाइन की गई थी, जिसके परिणामस्वरुप 1960 के दशक के अन्त तक अमूल गुजरात में कामयाबी की बुलन्दियों को छू रहा था।
ऑपरेशन फल्ड
सन् १९६४ में तत्कालिन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को कैटल फीड प्लांट का उदघाटन करने के लिये आणंद आमंत्रित किया गया था। योजना अनूसार उन्हें उसी दिन वापस लौटना था। किंतु उन्होनें वहाँ रुककर कोआपरैटिव की सफलता को जानने का सोचा। उन्होनें डॉ वर्गीज के साथ सभी कोआपरैटिव का जायज़ा लिया और उनकी प्रक्रिया से काफी प्रभावित हुए। जहाँ अमूल किसानों से दुध उद्गम करता था वहीं वह उनकी आर्थिक अवस्था में भी सुधार ला रहा था। नई दिल्ली पहुँचने के उपरान्त उन्होंने डॉ कुरियन से अमूल के प्रतिरुप को पूरे देश में अमल करने के लिये कहा। इसी के परिणामस्वरुप १९६५ में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना हुइ। इसी समय देश में दुध की मांग से ज़्यादा थी। भारत भी श्रीलंका की तरह दुध का सबसे बड़ा आयातक बन सकता था अगर एन डी डी बी एवं सरकार ने अगर पर्याप्त कदम ना लिये होते।
उस समय सबसे बड़ी समस्या धन एकत्र करने की थी। इसके लिये डॉ कुरियन ने वर्ल्ड बैंक को राज़ी करने की कोशिश की और बिना किसी शर्त के उधार पाना चाहा। जब वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष १९६९ में भारत दर्शन पर आए थे। डॉ कुरियन ने कहा था-"आप मुझे धन दीजिए और फिर उसके बारे में भूल जाये।" कुछ दिन बाद, वर्ल्ड बैंक ने उनके ऋर्ण को स्वीकृति दे दी। यह मदद किसी ऑपरेशन क हिस्सा था- ऑपरेशन फल्ड या दुग्ध क्रांति। ऑपरेशन फल्ड को तत्पश्चात भारत में तीन चरणों में कार्यान्वित किया गया। इसके फलस्वरुप लगभग 0.1 करोड़ कोआपरैटिव एवं ५ लाख दूध उत्पादक और जुड़ गए थे।
इन्हीं संयुक्त प्रयासों के फल के रूप में आज अमूल अपने करीब 5 लाख दुग्ध उत्पादकों जोकि रोज़ाना 1,44,246 डेयरी कोआपरैटिव संस्थानों में दुध की धारा बहाते है। इसी ने आज भारत को विश्व क सबसे बड़ा दुध उत्पादक बनाया है। [3]
सन्दर्भ
- ↑ Organisation :: Amul – The Taste of India Archived 2017-01-10 at the वेबैक मशीन. Amul (2015-05-14). Retrieved on 2015-11-29.
- ↑ "The Amul Story - General Management Review". मूल से 4 दिसंबर 2005 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अक्तूबर 2008.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2014.