अभिरक्त विस्थापन
भौतिकी में, अभिरक्त विस्थापन या रेडशिफ्ट एक ऐसी घटना है जहाँ किसी वस्तु से निकलने वाला विद्युत चुम्बकीय विकिरण (जैसे प्रकाश) के तरंगदैर्ध्य में बदलाव होता है। "रेडशिफ्ट" का तरंगिकी और क्वांटम सिद्धांत में अर्थ क्रमशः तरंगदैर्ध्य में वृद्धि, तरंग आवृत्ति और फोटॉन ऊर्जा में कमी है। जब तरंगदैर्ध्य अपेक्षाकृत छोटी हो जाए तो इस घटना को ऋणात्मक अभिरक्त विस्थापन या ब्लूशिफ्ट कहा जाता है। हालाँकि अभिरक्त विस्थापन शब्द मुख्यतः विद्युत चुम्बकीय विकिरण के लिये प्रयोग होता है, मगर यह अन्य तरंगों में भी हो सकती है।
कारण
मुख्यतः यह तीन कारणों से हो सकता है:-
- प्रेक्षक या प्रेक्षित वस्तु का एक दूसरे की अपेक्षा पास या दूर जाना। इसे डॉप्लर प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
- ब्रह्माण्ड में स्वंय अंतराल का फैलना या सिकुड़ना।
- गुरुत्वाकर्षण के वजह से विकिरण का खींच जाना।
कई अन्य कारणों से भी प्रकाश का रंग बदल सकता है, जैसे इलेक्ट्रान के विद्युत क्षेत्र की वजह से प्रकाश की आवृत्ति में बदलाव होना, यह सब अभिरक्त विस्थापन के अंतर्गत नहीं आते।
प्रभाव
सुदूर अंतरिक्ष में मौजूद आकाशगंगाओं के तत्वों से निकलने वाली विकिरण का तरंगदैर्ध्य अक्सर पड़ोस की आकाशगंगाओं और तत्वों के अपेक्षाकृत खींचा हुआ होता है। यह अंतराल के फैलने और आकाशगंगाओं के दूर जाने से होता है।
जब क्रिस्चियन डॉप्लर ने आवाज के तरंगिकी के अनुसार डॉप्लर प्रभाव की व्याख्या की, तो उसने यह अनुमान लगाया की यह सभी तरंगों पर लागू होनी चाहिये।[1]
१९वीं शताब्दी, यानी की प्रकाशीय तरंगिकी के शुरुआत दौर में, यह भी अंदाजा लगाया गया था की तारों के रंगों में अंतर धरती के अपनी कक्षा में चक्कर काटने के वजह से हो सकता है।[1] लेकिन फिर पता चला की इसकी वजह तारों के बनावट में अंतर थी।
१९१२ में खगोलिय अध्ययन करते हुए, वेस्टो स्लिफ़र ने पाया कि ज्यादातर सर्पिल आकाशगंगाएँ, तब जिन्हें सर्पिल नेबुला माना जाता था, के प्रकाश के तरंगदैर्ध्य में काफी विस्थापन था , और वो खींच गई प्रतीत होती थी। इसके बाद, एडविन हबल ने ऐसी "नेबुलाओं" की "रेडशिफ़्ट्स" और उनकी दूरियों के बीच एक अनुमानित संबंध की खोज की जिसे हबल के नियम के नाम से जाना जाता है।[2]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ "Christian Doppler".
- ↑ "Proceedings of the National Academy of Sciences of the United States of America". मूल से 30 जून 2008 को पुरालेखित.