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अभिनंदननाथ

श्री अभिनन्दननाथ भगवान
चौथे तीर्थंकर
4th Tirthankar of Jainism in the present half time cycle

तीर्थंकर अभिनंदननाथ की प्रतिमा
विवरण
एतिहासिक काल १ × १०२२३ वर्ष पूर्व
पूर्व तीर्थंकरसंभवनाथ
अगले तीर्थंकरसुमतिनाथ
गृहस्थ जीवन
वंश इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय
पिता श्री संवर राजा
माता श्री सिद्धार्था देवी
पंच कल्याणक
च्यवन स्थान विजय नाम के अनुत्तम विमान से
जन्म कल्याणक माघ शुक्ल द्वादशी
जन्म स्थानअयोध्या
दीक्षा कल्याणक माघ शुक्ल द्वादशी
दीक्षा स्थानअयोध्या
केवल ज्ञान कल्याणक पौष शुक्ल १४
केवल ज्ञान स्थानअयोध्या
मोक्ष वैशाख शुक्ल ७
मोक्ष स्थानसम्मेद शिखर
लक्षण
रंगस्वर्ण
ऊंचाई ३५० धनुष (१०५० मीटर)
आयु ५०,००,००० पूर्व (३५२.८ × १०१८ वर्ष)
वृक्ष शाल्मली
शासक देव
यक्ष ईश्वर
यक्षिणी काली
गणधर
प्रथम गणधर वज्रानाभी
गणधरों की संख्य १०३

अभिनन्दननाथ जी वर्तमान काल अवसर्पिणी के चतुर्थ तीर्थंकर हैं।[1]

जैन धर्म के चौथे तीर्थंकर भगवान अभिनन्दननाथ हैं। भगवान अभिनन्दननाथ जी को अभिनन्दन स्वामी के नाम से भी जाना जाता है।

अभिनन्दननाथ स्वामी का जन्म इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार में माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को हुआ था। अयोध्या में जन्मे अभिनन्दननाथ जी की माता सिद्धार्था देवी और पिता राजा संवर थे। इनका वर्ण सुवर्ण और चिह्न बंदर था। इनके यक्ष का नाम यक्षेश्वर और यक्षिणी का नाम व्रजशृंखला था। अपने पिता की आज्ञानुसार अभिनन्दननाथ जी ने राज्य का संचालन भी किया। लेकिन जल्द ही उनका सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया।

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सन्दर्भ

  1. "" अभिनदंन जी "", Jainism Knowledge