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अबाधित विद्युत आपूर्ति

एक छोटा यूपीएस, अगला व पिछला फलक दृश्यएक छोटा यूपीएस, अगला व पिछला फलक दृश्य
एक छोटा यूपीएस, अगला व पिछला फलक दृश्य

अबाधित विद्युत आपूर्ति (अंग्रेज़ी:Uninterruptible power supply) या यूपीएस एक ऐसा उपकरण होता है जो विद्युत से चलने वाले किसी उपकरण को उस स्थिति में भी सीमित समय के लिये विद्युत की समुचित आपूर्ति सुनिश्चित करता है जब आपूर्ति के मुख्य स्रोत (मेन्स) से विद्युत आपूति उपलब्ध नहीं होती।

यूपीएस कई प्रकार के बनाये जाते हैं और सीमित समय के लिये आपूर्ति उपलब्ध कराने के अलावा ये कुछ और भी काम कर सकते हैं - जैसे वोल्टता-नियंत्रण, आवृत्ति-नियंत्रण, शक्ति गुणांक वर्धन एवं उसकी गुणवत्ता को बेहतर करके उपकरण को देना, आदि। यूपीएस में उर्जा-संचय करने का कोई एक साधन होता है, जैसे बैटरी, तेज गति से चालित फ्लाईह्वील, आवेशित किया हुआ संधारित्र या एक अतिचालक कुण्डली में प्रवाहित अत्यधिक धारा। यूपीएस, सहायक ऊर्जा-स्रोत जैसे- स्टैण्ड-बाई जनरेटर आदि से इस मामले में भिन्न हैं कि विद्युत जाने पर वे सम्बन्धित उपकरण को मिलने वाली विद्युत में नगण्य समय के लिये व्यवधान करते हैं जिससे उस उपकरण के काम में बाधा या रूकावट नहीं आती।[1] यूपीएस का उपयोग कम्प्यूटरों, आंकड़ा केन्द्र, संचार उपकरणों, आदि के साथ प्राय: किया जाता है जहाँ कि विद्युत जाने से कोई दुर्घटना हो सकती है; महत्त्वपूर्ण आंकड़े नष्ट होने का डर हो; व्यापार का नुकसान आदि हो सकता हो।

कार्य

एक बड़े डाटा-केन्द्र में ५००-केवीए का यूपीएस स्थापन

यूपीएस न सिर्फ कंप्यूटर को वोल्टेज कम-ज्यादा होने की स्थिति में हानि से बचाता है, बल्कि विद्युत आपूर्ति चले जाने की स्थिति में कुछ समय बाद तक कंप्यूटर को विद्युत प्रदान करता है, जिससे उपयोक्ता अपना किया हुआ काम सहेज लेते हैं और कंप्यूटर को सही तरीके से शट डाउन कर पाते हैं। यदि कंप्यूटर की विद्युत आपूर्ति एकदम से चली जाए या अस्थिर हो जाये तो इससे हार्ड ड्राइव और रैम खराब होने की संभावना रहती है तथा मदरबोर्ड भी खतरे में पड़ सकता है।[1] यूपीएस में वोल्टता नियंत्रण भी अवश्य होना चाहिये, जिससे यूपीएस इस खतरे से कम्प्यूटर को बचा पाये। ये ध्यान रखना चाहिये कि यूपीएस को बाहरी उपकरणों से ओवरलोड न करें जैसे अनावश्यक प्रिंटर, स्कैनर और फैक्स मशीन आदि लगाना। कभी भी प्रिंटर को बैटरी बैक अप सिस्टम में प्लग न करें।

प्रकार

ऑफलाइन या ऑनलाइन

एक आफलाइन यूपीएस की संरचना का योजनात्मक चित्रण

इसी प्रकार यूपीएस या तो ऑफलाइन प्रकार का हो सकता है या लाइन-इन्टरैक्टिव प्रकार का हो सकता है। ऑफलाइन यूपीएस सारा लोड बैटरी पर डाल देता है। स्विचओवर करने का रिस्पांस टाइम, जिसे स्विचिंग टाइम भी कहते हैं, २ से १० मिनट होता है। ज्यादातर स्विचिंग-मोड पॉवर सप्लाई (एसएमपीएस) का होल्ड अप टाइम १६ मिनट से कम होता है, जो यूपीएस के स्विचिंग टाइम से अधिक होता है जिस कारण कंप्यूटर शट डाउन की समस्या नहीं होगी। वर्तमान में मिलने वाले अधिकतर यूपीएस लाइन इंटरेक्टिव यूपीएस होते हैं। ये एक सीमा तक इनपुट एसी (ऑल्टरनेटिव) पॉवर को नियंत्रित करते हैं और बैटरी एसी पॉवर से चार्ज हो जाती है। इतना ही नहीं, इस तरह के यूपीएस छोटे आकार के होते हैं और अधिकतर उत्पादकों के पास उपलब्ध होते हैं।

एक लाइन इन्टरैक्टिव यूपीएस की संरचना का योजनात्मक चित्रण

ऑनलाइन यूपीएस यूपीएस तुलनात्मक रूप से महंगे होते हैं। इस डिजाइन में बैटरी इन्वर्टर के द्वारा चार्ज होती है। चूंकि एसी लाइन से सीधा जुड़ाव नहीं होता, इससे लाइन में कोई गड़बड़ी होने का असर यूपीएस पर नहीं पड़ता। यदि घर में कंप्यूटर प्रयोग करते हैं तो इसके लिए तुलनात्मक रूप से सस्ते स्टैंडबाई पॉवर सिस्टम का प्रयोग करना चाहिये।


स्थैतिक या घूर्णन

यूपीएस कई तरह के होते हैं। एक वर्गीकरण के अनुसार ये स्थैतिक (स्टैटिक) हो सकते हैं या घूर्णी (रोटरी)। जिन यूपीएस में कोई घूमने वाली मशीन प्रयोग नहीं की जाती बल्कि केवल स्थावर अर्धचालक युक्तियाँ प्रयोग की जातीं हैं उसे स्थैतिक यूपीएस कहते हैं। इसके विपरीत जिनमें रोटरी मशीनों (जैसे डीसी मोटर, सिन्क्रोनस मोटर आदि) का उपयोग होता है उन्हें रोटरी यूपीएस कहते हैं। थे

क्षमता

यूपीएस का बैटरी बैंक

यूपीएस की शक्ति क्षमता (पॉवर रेटिंग) अधिक होनी चाहिये। अधिक यूपीएस इस तरह डिजाइन किए जाते हैं कि विद्युत जाने के १० मिनट बाद तक उनसे जुड़े उपकरण काम कर सकते हैं। इसके लिए वी.ए. (वोल्ट एंपीयर) रेटिंग ध्यान रखनी होती है। एंपीयर रेटिंग कंप्यूटर/उपकरण पर लिखी होती है, जिसे वोल्टेज (२२० वोल्ट) से गुणा कर सकते हैं।[1] ऐसा यूपीएस लेना चाहिये, जिसकी वी.ए. रेटिंग २० से २५ प्रतिशत ज्यादा हो। अधिकतर पीसी के लिए ६०० वोल्ट-एंपीयर की दर का यूपीएस काफी रहता है। ज्यादातर यूपीएस बैकअप टाइम के आधार पर लिया जाता है जिससे उसकी पूरी क्षमता का ज्ञान नहीं हो पाता है। बैटरी बैकअप पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि जुड़ने वाला उपकरण कितनी ऊर्जा ले रहा है। उपकरण जितना शक्तिशाली होगा, ऊर्जा की खपत उतनी ज्यादा करेगा।

सन्दर्भ

  1. ध्यान रखें यूपीएस के यूएसपी को Archived 2010-02-17 at the वेबैक मशीन|हिन्दुस्तान लाइव। २७ जनवरी २०१०। पूनम जैन

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ