अफ़ग़ानिस्तानी अमीरात
अफ़ग़ानिस्तानी अमीरात د افغانستان امارت Da Afghānistān Amārat | ||||||
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अवस्था | ब्रिटिश संरक्षण (1879–1919)[1] | |||||
राजधानी | काबुल | |||||
धर्म | सुन्नी इस्लाम | |||||
सरकार | अमीरात | |||||
विधान मण्डल | लोया जिरगा | |||||
मुद्रा | अफगानी रुपया |
अफ़ग़ानिस्तानी अमीरात (पश्तो: د افغانستان امارت Da Afghānistān Amārat) मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच एक अमीरात था, जो वर्तमान का इस्लामिक गणराज्य अफ़गानिस्तान है। दुर्रानी साम्राज्य से अमीरात का उदय हुआ, जब काबुल में बराकजई वंश के संस्थापक दोस्त मोहम्मद खान ने जीत हासिल की। मध्य एशिया में वर्चस्व के लिए रूसी साम्राज्य और यूनाइटेड किंगडम के बीच चला ग्रेट गेम अमीरात के इतिहास पर हावी रहा। दक्षिण एशिया में यूरोपीय औपनिवेशिक हितों का विस्तार इस अवधि की विशेषता थी। अफ़ग़ानिस्तान के अमीरात ने सिख साम्राज्य के साथ युद्ध जारी रखा, जिस कारण ब्रिटिश -नेतृत्व वाली भारतीय सेनाओं ने अफ़गानिस्तान पर आक्रमण किया, परन्तु वे अपने युद्ध के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सके। हालांकि, दूसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान, अंग्रेजों ने फिर से अफगानों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और इस बार अंग्रेजों ने अफगानिस्तान के विदेशी मामलों पर नियंत्रण कर लिया, तब तक जब तक कि 1919 के एंग्लो-अफगान संधि समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद अमीर अमानुल्लाह खान ने उन्हें वापस नहीं ले लिया, इसके बाद तीसरा एंग्लो-अफगान युद्ध हुआ था।
इन्हें भी देखें
अफ़ग़ानिस्तान में यूरोपीय प्रभाव
सन्दर्भ
- ↑ Masato Toriya (2017). Afghanistan as a Buffer State between Regional Powers in the Late Nineteenth Century (PDF). Hokkaido Slavic-Eurasian Reserarch Center. पपृ॰ 49–62. मूल से 6 जून 2019 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 18 जनवरी 2020.