अन्ना करोमी
| अन्ना करोमी | |
|---|---|
| राष्ट्रीयता | च्ज़ेच रेपुब्लीक | 
| प्रसिद्धि का कारण | शिल्पकार | 
| पुरस्कार | प्रेमिओ मिचेलान्गेलो | 
अन्ना करोमी का जन्म सन १९४० में १८ जुलाई को क्जेह रेपुब्लीक के सेस्की क्रुमलोव में हुआ, ऑस्ट्रिया में पली-बड़ी, फ्रांस में रही और इटली में कार्य किया, उन्ह की सराहना कई यूरोपेँस दूर की गयी। द्रुतीय विश्व युध अन्तकाल में वे अपने परिवार के साथ बोहेमिया से विएन्ना (ऑस्ट्रिया) आगये। परिवार पर प्रयाप्त पैसा न होने के कारण, उनका आर्ट स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करना संभव न था, और यह संभव हो पाया उन्हके विवहा के बाद जब वे परिस पहुंची . उन्होंने अपनी शिक्षा "एकोले देस बॉक्स- आर्ट " में ग्रहण की और अपने जहां मैं एक अनोखी छबि पाई |
 'To be or not to be', 1982, 100cm x 100cm 'To be or not to be', 1982, 100cm x 100cm
 'Eternal Love', 1979, 90cm x 115cm 'Eternal Love', 1979, 90cm x 115cm
 'Ball in Venice', 1979, 45cm x 60cm 'Ball in Venice', 1979, 45cm x 60cm
 'Clown', 1979, 95cm x 130cm 'Clown', 1979, 95cm x 130cm
१९९२ मैं घटित एक अनोखी घटना में लगी विशेष चोट के कारण वे आठ साल तक पैंट करने में असमर्थ रही. उन्होंने मरबले और कंस को माध्यम बनाते हुए एक बार फिर अपना रुझान शिल्पकारी की ओर किया |
Studio
पिएत्रसंता (तुस्कान्य) में अन्ना करोमी का स्टूडियो है। यहाँ खुद की कंस की खदाने भी है, जैसे की फोंदेरिया अर्तिस्तिचा मरिअनी और मास्सिमो देल चिअरो. वे अपने मार्बल शिल्पकारी के लिए मास्सिमो गल्लेनी नमक स्टूडियो का उपयोग करती है जोकि पित्रसंता में है, कार्रारा में अपनी शिल्पकारी के लिए वे फ्रांको बरत्तनी का मिचेलान्गेलो स्टूडियो का उपयोग करती है |
Conscience Art
 १५ फीट ऊँची क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के १५ फीट ऊँची क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के
 क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के ७० टन क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के ७० टन
 अंदर घूमते और अपने में शक्ति महसूस करते दर्शक. अंदर घूमते और अपने में शक्ति महसूस करते दर्शक.
 The Cloak of Conscience close up The Cloak of Conscience close up
करोमी का सर्वप्रसिधा नमूना है एम्प्टी काट यह "क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के", "पिएता" या "कोम्मेंदातोरे" नाम से भी जाने जाते हैं यह कैथेड्रल (सल्ज्बुर्ग में), ऑस्ट्रिया, स्तावोव्सके दिवद्लो (परागुए में), नेशनल अर्चेओलोगिकल मुजियम (अथेन्स में) और भी कई स्थानों पर स्थित है | वर्तमान में करोमी "दा क्लोअक" को परिवर्तित कर रही है ४ मीटर ऊँचे चपेल में, जोकि मिचेलान्गेलो (कारारल) के एक २०० टन सफ़ेद मार्बल से काटा गया है |
अन्य महत्यपूर्ण कार्यो में "ओल्य्म्पिक स्पिरिट " जोकि नए पुस्तकालय के सामने शंघाई में और यूरोपे में स्थित है, "तथा पुराने मिथक के समकालीन पुनर्व्याख्या" यूरोपेँ इंस्टिट्यूट में स्थित है | २००९ में उनके "ओलिवर डी" और", को राजकुमार अल्बर्ट द्वितीय, मोनाको के दुँरा नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, "एली विएसेल" के लिए पेश किया गया |. २००८ में उन्होंने, पोप बेनेडिक्ट XVI को रोम में सेंट पीटर्स में क्लोअक ऑफ़ कोन्स्किएन्के का एक मॉडल कोन्स्किएन्से इंस्टिट्यूट के निर्माण चिह्न रूप में भेंट किया |.
करोमी, संगीत (ओपेरा), क्लासिक डांस और प्राचीन मिथकों से प्रेरणा लेती है, . उसके चित्रों साल्वाडोर Dali और अन्य अतियथार्थवाद Surrealists के लिए एक प्रशंसा की बात है और मध्य यूरोपीय और अन्य कलाकारों शानदार यथार्थवाद के वियना स्कूल के लिए संदर्भ होते हैं। उसके रंग, कभी कभी मूर्तियों पर भी इस्तेमाल किया, एक सूक्ष्म स्पर्श की तरह (एम. डब्ल्यू टर्नर.)
Exhibitions
- Don Giovanni and the Sound of Bronze (2000) in Prague
- Il Canto di Orfeo (2004) Pietrasanta (Italy)
- Europe (2005) Place Vendôme, Paris
- Mythos Revisited (2007), National Archeological Museum, Athens
- Dream of the East (2009), Beijing, China