अनुच्छेद 365 (भारत का संविधान)
निम्न विषय पर आधारित एक शृंखला का हिस्सा |
भारत का संविधान |
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उद्देशिका |
अनुच्छेद 365 (भारत का संविधान) | |
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मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 19 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 364 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 366 (भारत का संविधान) |
भारत के संविधान में अनुच्छेद 365 को भाग 19 में रखा गया है। भारत के संविधान में अनुच्छेद 365 के मुख्य प्रावधान "अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध " है।[1] भारत के संविधान में अनुच्छेद 365 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो संघ और राज्य सरकारों के बीच संबंधों के बारे में बात करता है। भारत के संविधान अनुच्छेद 365 के तहत, यदि कोई भी राज्य सरकार संघ द्वारा दिए गए किसी निर्देश का पालन करने या उसे प्रभावी करने में विफल रहती है, तो राष्ट्रपति को यह मानने का अधिकार है कि राज्य की सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार काम नहीं कर रही है।[2]
पृष्ठभूमि
अनुच्छेद 365 राष्ट्रपति को उस स्थिति में कुछ कार्रवाई करने का अधिकार देता है जब कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करता है। अनुच्छेद 365 के तहत , राष्ट्रपति इस स्थिति में राज्य सरकार के खिलाफ कोई कदम उठा सकते हैं। राष्ट्रपति एक उद्घोषणा जारी कर सकते हैं कि राज्य ने केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया है। अनुच्छेद 365 के तहत यदि कोई राज्य सरकार संघ द्वारा दिए गए किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहती है तो उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। उद्घोषणा जारी होने के बाद, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, और इसे छह महीने तक जारी रखा जा सकता है।[3][4]
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 365 का इतिहास
अनुच्छेद 365 का उपयोग भारत के इतिहास में कई बार हुआ है, विशेष रूप से 1975 और 1977 के बीच आपातकाल के दौरान। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस अनुच्छेद का इस्तेमाल विपक्षी दलों द्वारा शासित कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए किया था। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 365 के दायरे को सीमित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय जारी किए हैं, जिससे केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की क्षमता पर अंकुश लगा है।
1956 में राष्ट्पति जवाहर लाल नेहरू जी ने पंजाब के मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव को बर्खास्त कर दिया था। राष्ट्रपति शासन का यह पहला उदाहरण देखा गया था। उस समय केंद्र ने पंजाब की सरकार को भंग करने की मांग की, जिसे संसदीय निकाय ने मंजूरी दे दी।
1970 के दशक में केंद्र की अस्थिरता के कारण सत्तारूढ़ दल द्वारा नियंत्रित नहीं होने वाली राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया था।
जनता पार्टी और कांग्रेस ने चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंकने के लिए अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया।[5]
मूल पाठ
“ | जहां कोई भी राज्य इस संविधान के किसी भी प्रावधान के तहत संघ की कार्यकारी शक्ति के प्रयोग में दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने या उसे प्रभावी करने में विफल रहा है, राष्ट्रपति के लिए यह मानना वैध होगा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसे राज्य की सरकार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चला सकती है।[6] | ” |
“ | Where any State has failed to comply with or to give effect to any directions given in the exercise of the executive power of the Union under any of the provisions of this Constitution, it shall be lawful for the President to hold that a situation has arisen in which the Government of the State cannot be carried on in accordance with the provisions of this Constitution.[7] | ” |
इन्हें भी देखें
- अनुच्छेद 361 (भारत का संविधान)
- अनुच्छेद 363 (भारत का संविधान)
- अनुच्छेद 364 (भारत का संविधान)
- अनुच्छेद 367(भारत का संविधान)
संदर्भ सूची
- ↑ "भारत का संविधान" (PDF). मूल (PDF) से 30 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-04-19.
- ↑ "Article 365: Effect of failure to comply with, or to give effect to, directions given by the Union". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-19.
- ↑ "भारत के संविधान के अनुच्छेद 365". Indian Kanoon. अभिगमन तिथि 2024-04-19.
- ↑ "Part XIX Archives". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-19.
- ↑ "Article 365 Of Indian Constitution // Examarly". blog.examarly.com (अंग्रेज़ी में). 2022-08-09. अभिगमन तिथि 2024-04-19.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 203 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 203 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]