अनुच्छेद 361 (भारत का संविधान)
निम्न विषय पर आधारित एक शृंखला का हिस्सा |
भारत का संविधान |
---|
उद्देशिका |
अनुच्छेद 361 (भारत का संविधान) | |
---|---|
मूल पुस्तक | भारत का संविधान |
लेखक | भारतीय संविधान सभा |
देश | भारत |
भाग | भाग 19 |
प्रकाशन तिथि | 1949 |
पूर्ववर्ती | अनुच्छेद 360 (भारत का संविधान) |
उत्तरवर्ती | अनुच्छेद 362 (भारत का संविधान) |
भारतीय संविधान के भाग 19 में अनुच्छेद 361 को रखा गया है। भारत में अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति, राज्यपाल, और राजप्रमुखों को उनके पद के दौरान अदालती कार्यवाही से विशेष संरक्षण मिलता है।[1] राष्ट्रपति और राज्यपालों के पास विशेषाधिकार हैं जो उन्हें उनके पद के दौरान कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाले दायित्वों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन पदों पर बैठा व्यक्ति अपने पद के कार्यकाल के दौरान न्यायालयीय प्रक्रिया से सुरक्षित होता है।[2]
पृष्ठभूमि
उत्तरदायित्व से छूट:
राष्ट्रपति, राज्यपालों और राजप्रमुखों को उनके पद के कर्तव्यों और शक्तियों के प्रयोग के दौरान न्यायालय में उत्तरदायी नहीं माना जाता है। यह उन्हें उनके कार्यों में एक स्तर का संरक्षण प्रदान करता है।
आरोप अन्वेषण:
हालांकि, अनुच्छेद 61 के तहत, संसद के किसी सदन द्वारा नियुक्त न्यायालय, अभिकरण या निकाय द्वारा राष्ट्रपति के आचरण का पुनर्विलोकन किया जा सकता है।
सरकार के विरुद्ध कार्यवाहियां:
यह नियम यह नहीं दर्शाता कि यह सरकार के विरुद्ध कार्यवाही चलाने के किसी व्यक्ति के अधिकार को प्रतिबंधित करता है।[3]आपराधिक कार्यवाही पर रोक:
राष्ट्रपति या राज्यपाल के पदावधि के दौरान उनके विरुद्ध किसी भी नागरिक कार्यवाही की शुरू नहीं की जा सकती या जारी नहीं रखी जा सकती। यह विशेषाधिकार इन्हें अदालती अभियानों से बचाता है, जिससे वे अपनी जिम्मेदारियों को निर्भयता से निभा सकें। [3]
गिरफ्तारी और कारावास से सुरक्षा:
उनकी पदावधि के दौरान, न्यायालय द्वारा उनके गिरफ्तारी या कारावास के लिए कोई आदेशिका जारी नहीं की जा सकती। यह विशेषाधिकार इन्हें व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है।[4][5]
मूल पाठ
“ | राष्ट्रपति, या किसी राज्य के राज्यपाल या राजप्रमुख, अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए या अभ्यास में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी भी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे। [6] | ” |
“ | The President, or the Governor or Rajpramukh of a State, shall not be answerable to any court for the exercise and performance of the powers and duties of hi s office or for any act done or purporting to be done by hi m in the exercise and performance of those powers and duties.[7] | ” |
इन्हें भी पढ़े
संदर्भ सूची :
- ↑ "भारत का संविधान" (PDF). मूल (PDF) से 30 जून 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2024-04-22.
- ↑ "Article 361: Protection of President and Governors and Rajpramukhs". Constitution of India (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-04-14.
- ↑ अ आ "संवैधानिक भूमिका | RAJBHAWAN UTTARAKHAND | भारत". अभिगमन तिथि 2024-04-14.
- ↑ "भारतीय संविधान के अनुच्छेद 361 का विवरण". अभिगमन तिथि 2024-04-14.
- ↑ "'भारत का संविधान' के अंतर्गत राष्ट्रपति की शक्तियाँ।". अभिगमन तिथि 2024-04-14.
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 200 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]
- ↑ (संपा॰) प्रसाद, राजेन्द्र (1957). भारत का संविधान. पृ॰ 200 – वाया विकिस्रोत. [स्कैन ]