अनाहत चक्र
अनाहत चक्र तंत्र और योग साधना की चक्र संकल्पना का चौथा चक्र है। अनाहत का अर्थ है शाश्वत। यह चक्र हृदय के समीप सीने के मध्य भाग में स्थित है। इसका मंत्र यम है।
विशेषता
अनाहत चक्र ध्वनि (नाद) की पीठ है। इस चक्र पर एकाग्रता व्यक्ति की प्रतिभा को कलाकार या रचनाकार के रूप में विकसित कर सकती है। इस चक्र से संकल्प शक्ति का उदय होता है जो इच्छा पूर्ति करने में सहायक होती है।
प्रतीक
अनाहत चक्र का प्रतीक चिह्न बारह पंखुडिय़ों वाला कमल है। यह हृदय के १२ दिव्य गुणों- परमानंद, शांति, सुव्यवस्था, प्रेम, संज्ञान, स्पष्टता, शुद्धता, एकता, अनुकंपा, दयालुता, क्षमाभाव और सुनिश्चिय का प्रतीक है। इसके दूसरे प्रतीक चिह्न में दो त्रिकोण तारक आकार में बनाए जाते हैं। एक त्रिकोण का शीर्ष ऊपर की ओर और दूसरे का नीचे की ओर संकेत करता है। जब अनाहत चक्र की ऊर्जा आध्यात्मिक चेतना की ओर प्रवाहित होती है, तब हमारी भावनाएं भक्ति, शुद्ध, ईश्वर प्रेम और निष्ठा की ओर उन्मुख होती है। यदि यह सांसारिक कामनाओं की ओ्र उन्मुख होती है तो इच्छा, द्वेष-जलन, उदासीनता और हताशा भाव में वृद्धि होती है। अनाहत चक्र का प्रतीक पशु कुरंग (हिरण) है जो अत्यधिक ध्यान देने और चौकन्नेपन का बोधक है। इस चक्र के देवता शिव या पार्वती या विष्णु या लक्ष्मी या ज्योतिर्मय शिवलिंग हैं। शिव चेतना और पार्वती प्रकृति की प्रतीक हैं। [1]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "अनाहत चक:The System "Yoga in Daily Life"हिन्दी". मूल से 29 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जून 2020.