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अतिसार

अतिसार
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आंत्र मार्ग का चित्र
अन्य नाम डायरिया
आईसीडी-१०A09., K59.1
आईसीडी-787.91
रोग डाटाबेस3742
ई-मेडिसिनped/583 
एमईएसएचD003967

अतिसार या डायरिया[1] (अग्रेज़ी:Diarrhea) में या तो बार-बार मल त्याग करना पड़ता है या मल बहुत पतले होते हैं या दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं। पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहते हैं।[2]

साबुन ओर पानी से हाथ धोना
ओ. आर. एस. पैकेट और ज़िक की गोली का उपयोग

लक्षण

अतिसार का मुख्य लक्षण और कभी-कभी अकेला लक्षण, विकृत दस्तों का बार-बार आना होता है। तीव्र दशाओं में उदर के समस्त निचले भाग में पीड़ा तथा बेचैनी प्रतीत होती है अथवा मलत्याग के कुछ समय पूर्व मालूम होती है। धीमे अतिसार के बहुत समय तक बने रहने से, या उग्र दशा में थोड़े ही समय में, रोगी का शरीर कृश हो जाता है और जल ह्रास (डिहाइड्रेशन) की भयंकर दशा उत्पन्न हो सकती है। खनिज लवणों के तीव्र ह्रास से रक्तपूरिता तथा मूर्छा (कॉमा) उत्पन्न होकर मृत्यु तक हो सकती है

  • पेट में दर्द
  • ऐंठन
  • सूजन
  • निर्जलीकरण
  • बुखार
  • मल में खून
  • दस्त
  • बार - बार उल्टी

कारण

यह अंतड़ियों में अधिक द्रव के जमा होने, अंतड़ियों द्वारा तरल पदार्थ को कम मात्रा में अवशोषित करने या अंतड़ियों में मल के तेजी से गुजरने की वजह से होता है।

प्रकार

डायरिया की दो स्थितियां होती हैं- एक, जिसमें दिन में पांच बार से अधिक मल त्याग करना पड़ता है या पतला मल आता है। इसे डायरिया की गंभीर स्थिति कहा जा सकता है। आनुपातिक डायरिया में व्यक्ति सामान्यतः जितनी बार मल त्यागता है उससे कुछ ज्यादा बार और कुछ पतला मल त्यागता है।

''उग्र अतिसार- उग्र (ऐक्यूट) अतिसार का कारण प्रायः आहारजन्य विष, खाद्य विशेष के प्रति असहिष्णुता या संक्रमण होता है। कुछ विषों से भी, जैसे संखिया या पारद के लवण से, दस्त होने लगते हैं।

जीर्ण अतिसार- जीर्ण (क्रॉनिक) अतिसार बहुत कारणों से हो सकता है। आमाशय अथवा अग्न्याशय ग्रंथि के विकास से पाचन विकृत होकर अतिसार उत्पन्न कर सकता है। आंत्र के रचनात्मक रोग, जैसे अर्बुद, संकिरण (स्ट्रिक्चर) आदि, अतिसार के कारण हो सकते हैं। जीवाणुओं द्वारा संक्रमण तथा जैवविषों (टौक्सिन) द्वारा भी अतिसार उत्पन्न हो जाता है। इन जैवविषों के उदाहरण हैं रक्तविषाक्तता (सेप्टिसीमिया) तथा रक्तपूरिता (यूरीमिया)। कभी निःस्रावी (एंडोक्राइन) विकार भी अतिसार के रूप में प्रकट होते हैं, जैसे ऐडीसन के रोग और अत्यवटुकता (हाइपर थाइरॉयडिज्म)। भय, चिंता या मानसिक व्यथाएँ भी इस दशा को उत्पन्न कर सकती हैं। तब यह मानसिक अतिसार कहा जाता है।

चिकित्सा

डायरिया उग्र या जीर्ण (क्रोनिक) हो सकती है और प्रत्येक प्रकार के डायरिया के भिन्न-भिन्न कारण और इलाज होते हैं। डायरिया से उत्पन्न जटिलताओं में निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन), इलेक्ट्रोलाइट (खनिज) असामान्यता और मलद्वार में जलन, शामिल हैं। निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन) को पीनेवाले रिहाइड्रेशन घोल की सहायता से कम किया जा सकता है और आवश्यक हो तो अंतःशिरा द्रव्य की मदद भी ली जा सकती है।

चिकित्सा के लिए रोगी के मल की परीक्षा करके रोग के कारण का निश्चय कर लेना आवश्यक है, क्योंकि चिकित्सा उसी पर निर्भर है। कारण को जानकर उसी के अनुसार विशिष्ट चिकित्सा करने से लाभ हो सकता है। रोगी को पूर्ण विश्राम देना तथा क्षोभक आहार बिलकुल रोक देना आवश्यक है। उपयुक्त चिकित्सा के लिए किसी विशेषज्ञ चिकित्सक का परामर्श उचित है।[3]

डॉक्टर आपके दस्त का कारण जानने के लिए निम्नलिखित परीक्षणों का आदेश दे सकता है:

  • रक्त परीक्षण
  • मल परीक्षण

सन्दर्भ

  1. "Health TIPS: डायरिया से बचे रहेंगे, सफाई का रखें ध्यान". https://www.livehindustan.com (hindi में). मूल से 21 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2020-06-25. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. "क्या है डायरिया और इससे बचाव के आसान उपचार". NavBharat Times Blog. 2016-05-22. अभिगमन तिथि 2020-06-25.
  3. Shivanisingh (2018-07-29). "घर पर आसानी से बनाएं ORS घोल, लेकिन जरुर बरतें ये सावधानियां". India TV Hindi Hindi. अभिगमन तिथि 2020-06-25.


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